तीन लफ़्ज़ 

जिस तरह काँट छाँट कर

कंजूसी से दी है दुआ उसने

तसल्ली है इस ख़याल से

कितना सोचा होगा उसने

तीन लफ़्ज़ों में दुआ समेटने से पहले

दिल को यह यक़ीन ही काफ़ी

सच कहा था उसने कि यह

दिन याद रहता है उसे 

 

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